धारा 188
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन महामारी कानून ( Epidemic Diseases Act, 1897) के तहत लागू किया गया है। इसी कानून में प्रावधान है कि अगर लॉकडाउन में सरकार के निर्देशों का कोई व्यक्ति उल्लंघन करता है, तो उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा दिए निर्देशों का उल्लंघन करने पर भी आपके खिलाफ ये धारा लगाई जा सकती है। यहां तक कि किसी के ऊपर ये धारा लगाने व कानूनी कार्रवाई करने के लिए ये भी जरूरी नहीं कि उसके द्वारा नियम तोड़े जाने से किसी का नुकसान हुआ हो या नुकसान हो सकता हो।
धारा 271
भारतीय दंड संहिता की धारा 271, क्वारंटाइन के नियम की अवज्ञा (Disobedience) से सम्बंधित प्रावधान है। यह एक वह प्रावधान है, जो जब लॉकडाउन ऑपरेशन में हो, तब लागू हो सकता है। आमतौर पर क्वारंटाइन का तात्पर्य, एक अवधि, या अलगाव के एक स्थान से है, जिसमें लोग या जानवर, जो कहीं ओर से आए हैं, या संक्रामक रोग के संपर्क में आए हैं, उन्हें रखा जाता है।
धारा 269
इसी प्रकार भारतीय दंड संहिता में अन्य दांडिक प्रावधान भी है जैसे धारा 269, इस धारा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अवैधानिक तरीके से अथवा लापरवाही पूर्वक ये जानते हुए ऐसा कृत्य करता है जिससे किसी जानलेवा बीमारी के फैलने का खतरा हो सकता है तो यह दंडनीय अपराध है।
धारा 270
इसके अंतर्गत कोई व्यक्ति द्वेषतापूर्वक ऐसा कोई कृत्य करता है ये जानते हुए की ऐसा करने से कोई जानलेवा बीमारी फैलेगी तो यह दंडनीय अपराध है। परंतु यह कृत्य द्वेषतापूर्वक किया जाना पाए जाने पर ही मामला बनता है अन्यथा नहीं।
धारा 144
कैसे अलग है कर्फ्यू से धारा 144 लगने का मतलब है कि किसी जगह पर पांच या उससे ज्यादा लोग एक साथ जमा नहीं हो सकते। आप अकेले हैं तो आ जा सकते हैं लेकिन कर्फ्यू में ऐसा नहीं है। अगर किसी जरूरी काम से निकलना होगा तो पुलिस से अनुमति लेनी होगी।
क्या है सजा उल्लंघन करने पर धारा 188 भारतीय दंड विधान के अंतर्गत केस दर्ज किया जाता है। सजा छः माह तक कारावास अथवा एक हजार रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों।